10 जनवरी 2010

थाना इंचार्ज को मिल गया मौका, धमकी देकर डकार गए 70 हजार रुपये

जब 3 दिसंबर 2006 को पंधेर सीओ ऑफिस आया था तो पूछताछ के लिए तत्कालीन सेक्टर-20 थाना प्रभारी बी.पी. सिंह भी मौजूद थे। पंधेर की कॉलगर्ल से संपर्क की जानकारी पाकर वह फूले नहीं समा रहे थे। निठारी से लापता हो रहे बच्चों के बारे में उससे पूछताछ करने की नहीं सोची। हां, इतना जरूर सोचा कि कैसे अब उससे मुर्गा बनाया जाए। सो वह अकेले में पहुंच गए पंधेर की कोठी। पढ़ा दिया कानून का पुलिसिया पाठ। हथकड़ी लग जाएगी। इज्जत का वाट लग जाएगी। जेल में सड़ जाओगे, अगर इस बयान को लिखा-पढ़ी में आ गई तो। यह सुनकर पंधेर डर गया। समझ भी गया, जो शख्स सीओ ऑफिस में गुमसुम था। वह अब दहाड़ क्यों रहा है। दहाडऩे की कीमत देनी होगी। सो, कमरे के भीतर ले गया। गर्म चाय पीने के लिए पूछा। चाय पिलाने के साथ कितनी महंगी बिस्किट चाहिए। यह भी पूछ डाला। कीमत लगी 70 हजार रुपये कैश। कीमत अदा कर दी गई। यह रकम पंधेर के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी। इतने नोट तो वह न जाने कितनी बार बस पल भर की खुशी पाने के लिए उड़ा चुका था। यह तो दुख पहुंचाने से बचने की कीमत थी। रिश्वत देने का खुलासा पंधेर द्वारा सीबीआई को दिए बयान में भी है। इसके बाद पंधेर सेक्टर-20 थाने के कुछ पुलिसकर्मियों के लिए सोने का अंडा देने वाली मुर्गी बन गया। कई पुलिसकर्मियों ने अपने-अपने तरीके से सोने के अंडे पर हाथ साफ किया। लेकिन लापता पायल का क्या हुआ? गायब बच्चों का क्या हुआ? किसी ने भी पता नहीं लगाया। इस तरह न तो गायब बच्चों का राज खुला और न ही पायल का। जांच जस की तस रह गई।

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